ग्रह शांति

(बुध के लिए)

देवानां च ऋषीणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥

(गुरु के लिए)

हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्॥

(शुक्र के लिए)

नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥

(शनि के लिए)

अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्॥

(राहु के लिए)

पलाशपुष्पसङ्काशं तारकाग्रहमस्तकम्।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्॥

(केतु के लिए)

नवग्रह ध्यान श्लोक:

आदित्याय च सोमाय मङ्गलाय बुधाय च।
गुरु शुक्र शनिभ्यश्च राहवे केतवे नमः॥

 

इन मंत्रों का जप नियमित रूप से श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर ग्रहों की अशुभता कम होती है और जीवन में सकारात्मक प्रभाव आते हैं।

ग्रह शांति

ग्रह शांति के लिए विभिन्न श्लोक और मंत्र होते हैं, जो विशेष ग्रहों के प्रभाव को शांत करने और अनुकूल बनाने के लिए पढ़े जाते हैं। यहाँ एक सामान्य “नवग्रह शांति” के लिए श्लोक दिया गया है, जो सभी नौ ग्रहों की कृपा प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है:

 

नवग्रह शांति मंत्र:

जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥

(सूर्य के लिए)

दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम्।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्॥

(चंद्रमा के लिए)

धरनीयगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥

(मंगल के लिए)

प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्॥