भैरव जाप

काल भैरव अष्टकं:
देवराजसेव्यमान पावनाङ्घ्रिपङ्कजम्।
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्॥
नारदादियोगिवृन्द वन्दितं दिगम्बरम्।
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परम्।
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्॥
कालकालमम्बुजाक्षमक्षशूलमक्षरम्।
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥
काल भैरव स्तुति:
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नमः।
यह मंत्र भगवान काल भैरव की आराधना में उपयोग किया जाता है और साधक को उनकी अनुग्रह शक्ति का अनुभव करने में सहायता करता है।
भैरव गायत्री मंत्र:
ॐ कालभैरवाय विद्महे कर्कटहस्ताय धीमहि।
तन्नो रौद्रः प्रचोदयात्॥
इन श्लोकों और मंत्रों का नियमित जप करने से भक्त को भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, भय और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, और जीवन में सुरक्षा और समृद्धि आती है।
भैरव जाप
भगवान भैरव के जप और स्तुति के लिए कई श्लोक और मंत्र हैं, जो भक्तों द्वारा भगवान भैरव की कृपा प्राप्त करने और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए उपयोग किए जाते हैं। यहां भगवान भैरव के कुछ प्रसिद्ध श्लोक और मंत्र दिए गए हैं:
भैरव अष्टकं:
आकाशं गगनं व्योम शून्यं चैव चतुर्थकम्।
भैरवं इन्द्रियातीतं तस्मै श्री गुरवे नमः॥
भूतं भव्यं भविष्यं च सर्वं खल्विदमव्ययम्।
भैरवं इन्द्रियातीतं तस्मै श्री गुरवे नमः॥
भैरव बीज मंत्र:
ॐ भं भैरवाय नमः।
इस मंत्र का जप साधक को साहस, शक्ति, और सुरक्षा प्रदान करता है।